दुनिया भर में शुरू हो रही ऊर्जा संकट के मद्देनजर, देशों के बीच तेल और ऊर्जा की महत्वपूर्ण मुद्राओं पर तीव्र मुक़ाबला चल रहा है। हाल ही में, पाकिस्तान ने रूस से ‘सस्ता तेल’ खरीदा है, जिसके बारे में विभिन्न विचाराधीन मतभेद चल रहे हैं। इस मामले में, भारत और संयुक्त अरब अमीरात की ओर से जमकर कमाई हुई है, जबकि पाकिस्तान को सिर्फ एक लॉलीपॉप मिली है। इसलिए, यह ‘तेल का खेल’ नामक खेल उधम समझा जा रहा है।

बातचीत के दौरान, पाकिस्तान के वित्तीय एवं व्यापारिक अख़बार “बिज़नेस रिकॉर्डर” के संपादक वकास ने बताया कि यह रूसी तेल खरीदने से भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच तेल व्यापार से बड़ी कमाई हुई है। उन्होंने बताया कि रूस से तेल की पहली खेप भारत में पहुंची, फिर गुजरात राज्य के माध्यम से यह यूएई गयी और उसके बाद यह तेल पाक

पाकिस्तान ने रूस से खरीदा ‘सस्ता तेल’ मिला लॉलीपॉप, मालामाल हुए भारत और यूएई! समझें खेल

पाकिस्तान ने हाल ही में रूस से तेल खरीदा है और इस तेल की पहली खेप अब कराची बंदरगाह पहुंच गई है। इस तेल को पाकिस्तान की रिफाइनरी में भेजा गया है। पाकिस्तान को अब तक रूस से 45 हजार मीट्रिक टन तेल मिला है और इसकी दूसरी खेप भी जल्द ही आने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस तेल के पाकिस्तान पहुंचने का उत्साह प्रकट नहीं कर रहे हैं। वहीं, पीटीआई समर्थक इसे इमरान खान की उपलब्धि बता रहे हैं। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी तेल से भारत और यूएई मालामाल हुए हैं और पाकिस्तान को सिर्फ लॉलीपॉप मिला है। इसलिए इसे ‘तेल का खेल’ कहा जा रहा है।

विशेषज्ञ वकास के अनुसार, रूस से आया गया तेल पहले भारत में पहुंचा। इसके बाद भारत के गुजरात राज्य से यह तेल यूएई गया .

“रूसी तेल का खेल: पाकिस्तान के हाथ मात्र लॉलीपॉप, भारत और यूएई हुए मालामाल”


पाकिस्तान ने हाल ही में रूस से सस्ता तेल खरीदा है, जिसके बारे में खबरें चर्चा में हैं। इस खरीद के बाद तेल की पहली खेप पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पहुंच गई है और अब यह रिफाइनरी में भेजा जा चुका है। पाकिस्तान को अब तक 45,000 मीट्रिक टन तेल मिल चुका है और इसकी दूसरी खेप जल्द ही मिलने वाली है। इसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के फूले नहीं समाए हैं, जबकि पीटीआई समर्थक इसे इमरान खान की उपलब्धि बता रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, रूसी तेल से भारत और यूएई को बड़ा लाभ हुआ है, जबकि पाकिस्तान के पास केवल लॉलीपॉप है।

पाकिस्तान के चर्चित बिजनेस अखबार “बिजनेस रेकॉर्डर” के संपादक और आर्थिक जानकार वकास ने बताया कि भारत और यूएई ने इस तेल के खरीदारी से बड़ा लाभ उठाया है। रूस से इस तेल की पहली खेप भारत को आई, और फिर यह गुजरात राज्य के माध्यम से यूएई पहुंचा।

भारत और यूएई ने इस तेल को अपने व्यापारिक मार्गदर्शकों के माध्यम से बहुत अच्छे मूल्य पर बेचा है। यह उन्हें आपूर्ति के मामले में पाकिस्तान से आगे रखता है। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस खरीद को एक वित्तीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना है और बताया है कि यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

पाकिस्तान के लिए तेल खरीदारी को लेकर कई सवाल उठे हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे एक भारत पर नजरअंदाज़ करने का माध्यम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे पाकिस्तान के उद्योग और उपभोक्ताओं को सस्ता और सुलभ तेल उपलब्ध कराने का प्रयास बता रहे हैं। इस सम्बंध में आर्थिक विश्लेषक रिजवाना अब्बासी ने कहा है कि यह विपणन का एक तांत्रिक तरीका है, जिसमें रूस को अपनी आपूर्ति और व्यापार बढ़ाने के लिए अन्य देशों से मिले हुए सौदों का उपयोग करना होता है।

“तेल का खेल: पाकिस्तान, भारत और यूएई के बीच खरीदारी की रणनीति”

पूरे दुनिया में तेल खरीदारी और विपणन एक महत्वपूर्ण रणनीतिकी है। विभिन्न राष्ट्रों और क्षेत्रों के बीच तेल के व्यापार में तारीखीन राजनीतिक, आर्थिक और भौगोलिक प्रबंधन की योजना बनाई जाती है। इस विषय पर हाल ही में चर्चा हुई है, जहां पाकिस्तान, भारत और यूएई के बीच तेल की खरीदारी के मामले में रणनीतिक तनाव उभरे हैं। इस तेल के खेल में पाकिस्तान ने रूस से सस्ता तेल खरीदा है, जबकि भारत और यूएई ने इससे मुनाफा उठाया है।

पाकिस्तान की रूस से की गई तेल खरीदारी ने चर्चा में बड़ा धमाका मचाया है। पाकिस्तान को इस खरीदारी के बाद बड़ी मात्रा में सस्ता तेल मिला है, जो उसे अपनी आर्थिक मदद करेगा। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इस सौदे से ज्यादा फायदा भारत और यूएई को हुआ है, जो इस तेल की खरीदारी से लाभान्वित हुए हैं। पाकिस्तान को केवल लॉलीपॉप मिला है,

भारत और यूएई ने तेल की खरीदारी से अच्छा मुनाफा कमाया है। इस सौदे से भारत को बड़ी मात्रा में सस्ता और उपयुक्त तेल मिला है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। यूएई भी इस सौदे से फायदा उठाया है, क्योंकि वह भी सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले तेल की आपूर्ति प्राप्त करने में सक्षम हुआ है।

पाकिस्तान के लिए यह सौदा एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। रूस से सस्ता तेल खरीदने की रणनीति पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं साबित हुई है, क्योंकि उसे केवल लॉलीपॉप मिला है और दूसरे राष्ट्रों ने इससे बड़ा फायदा उठाया है। यह सौदा पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और दुश्चिन्ता में डाल सकता है और उसे विपणन और तारीखीन राजनीतिक प्रबंधन की योजना बनाने के लिए मजबूर कर सकता है।

इस तेल के खेल ने पाकिस्तान, भारत और यूएई के बीच एक नई रणनीतिक नीति की चर्चा को उजागर किया है।

तेल का खेल: राष्ट्रों के भारतीय और यूएई कंपनियों की व्यापारिक दिग्गजता

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दोनों अग्रणी देश हैं जो तेल व्यापार में व्यापारिक दिग्गजता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। तेल के खेल में ये दोनों देश अपनी खरीदारी की रणनीतियों के माध्यम से अपनी व्यापारिक दिग्गजता को मजबूत बना रहे हैं।

भारत और यूएई दोनों देशों की आर्थिक मुंडबेंड़ों और तेल उत्पादन की आवश्यकताओं के संग्रहीत मिलान के कारण तेल व्यापार में उनकी ताकत बढ़ी है। भारत, विश्व में सबसे बड़ी तेल खरीदारी देशों में से एक है और यूएई विश्व में सबसे बड़ा तेल आयात करने वाला देश है। इसलिए, ये दोनों देश तेल व्यापार में एक-दूसरे के प्रमुख खरीदार हैं।

भारतीय कंपनियां तेल खरीदने के लिए विभिन्न राष्ट्रों से संचालित नियमित बोर्ड और ऑनलाइन मुद्रास्फीति (e-tendering) प्रक्रिया का उपयोग करती हैं।

भारतीय कंपनियां विश्वस्तरीय तेल उत्पादकों के साथ संबंध स्थापित करके नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं और अपनी व्यापारिक दिग्गजता को मजबूत बनाती हैं। भारतीय कंपनियों ने यूएई के साथ संबंधों को विस्तारित किया है और विभिन्न तेल उत्पादों की आपूर्ति के लिए नए समझौते किए हैं। इससे वे अपने व्यापार में मजबूती लाती हैं और अधिक बाजार लक्ष्य प्राप्त करती हैं।

वहीं, यूएई में भी तेल खरीदारी की रणनीतियों का विस्तार हुआ है। यूएई कंपनियां विभिन्न तेल उत्पादकों से सीधे संपर्क करके आपूर्ति और व्यापार के संबंध में समझौते करती हैं। यूएई कंपनियां भी अपने तेल खरीदारी के लिए भारत के साथ संबंध रखती हैं और भारतीय कंपनियों से नियमित आपूर्ति कराती हैं। ये संबंध दोनों देशों के बीच तेल व्यापार में सहयोग और व्यापारिक दिग्गजता को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।