नई दिल्ली : भारत में अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते आए हैं। पिछले कई दिनों से काफी चर्चा है। तस्वीरें शेयर हो रही हैं। कोई ताकतवर बता रहा है तो कोई 100 किमी की रफ्तार से भागने वाला जानवर। इन सबके बीच बिल्ली की तरह गुर्राने वाले इस जानवर की तुलना भी शुरू हो गई है। चीतों की खासियत के बारे में आपने पढ़ या सुन लिया होगा। लेकिन बात अगर शेर से फाइट की हो तो क्या होगा? आज ‘जंगल न्यूज’ में बात इसी की। दिलचस्प बात यह है कि जंगल के राजा शेर और चीते की फाइट पेट भरने के लिए नहीं होती है बल्कि एक तरह का कॉम्प्लेक्स इसकी वजह है। शेर को लगता है कि अगर चीता जिंदा रहा तो उसके शिकार को वह खा जाएगा। यही बात चीता के दिमाग में रहती है।

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  • किंग की पावर के मामले में तो शेर को कोई टक्कर नहीं दे सकता है। अगर उसे मौका मिलता है तो वह जंगल में चीता को मार सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि मांसाहारी जीव एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। जब भी मौका मिलेगा बाघ किसी तेंदुए को मार देगा। जब भी मौका मिलेगा शेर जंगल में चीते को मार देगा। इसी तरह बाघ और शेर में एक दूसरे को मारने की जंग छिड़ जाती है।
  • इसकी वजह यह नहीं है कि वे भूखे होते हैं और मारकर खाने की सोचते हैं। नहीं, वे एक दूसरी को पसंद ही नहीं करते हैं। शेर को मौका मिलता है तो लकड़बग्घे को मार देता है और दूसरी तरफ यह खूंखार जानवर दांव मिलने पर शेर के बच्चों को नहीं छोड़ता।
  • कुल मिलाकर इस तरह से पारिस्थितिक संतुलन साधा जाता है। किसी चीते या लकड़बग्घे को मारने के बाद शेर उसे खाता नहीं है क्योंकि चीता या लकड़बग्घा उसके लिए खाना नहीं हैं। ये उसके लिए दुश्मन हैं। उन्हें डर रहता है कि आज अगर नहीं मारा तो कल वह उसके शिकार पर हमला करेगा। ऐसे में उसके साथ भोजन साझा करना पड़ेगा।बाकी चीते दहाड़ते नहीं है, यह बात तो सबको पता है। पिछले दिनों अखिलेश यादव के एक ट्वीट पर उनकी काफी किरकिरी हुई थी। चीते की पहचान रेस से होती है।