जैश-ए-मोहम्मद कमांडर आशिक नेंगरू और उसके साथी रियाज फरार घोषित किए गए हैं और नॅगरू के संबंध पीओजेके से जुड़े होने का खुलासा हुआ है। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के इन दो अफसरों को पुलवामा एनआईए की विशेष अदालत ने फरार घोषित किया है। यह घटना आतंकवाद की समस्या को फिर से सुर्खियों में लाने वाली है।

आशिक नेंगरू का पाकिस्तान से जुड़ा होना सूचित करता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के भाग के लिए अपनी आँखें बंद कर रहा है जो इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग कर रहा है। इस घटना से साफ होता है कि पाकिस्तान अपने आतंकवादी नेटवर्कों का उपयोग करके भारत को नुकसान पहुंचाना जारी रखना चाहता है।

इस घटना से यह भी साफ होता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत ने अपनी संगठनता को और मजबूत करने की जरूरत है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के बारे में सूचनाएं प्राप्त होती रहती हैं और सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय रूप से कार्रवाई करती रहती हैं। आशिक नेंगरू और रियाज अहमद डार जैश-ए-मोहम्मद के दो बड़े कमांडरों में से एक हैं, जो पूरे देश में अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं।

इस घटना के बाद, सुरक्षा एजेंसियां सतर्कता बढ़ाने के लिए अपने नेटवर्क और सूचना संचार के तंत्र को अधिक सख्त बनाने में जुटी हैं। यह घटना एक बार फिर से सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती पेश करती है जो देश की सुरक्षा और अखंडता को संरक्षित रखने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं।

जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों के लिए भी यह घटना एक चिंता का विषय है। उन्हें अपनी दैनिक जिंदगी को सामान्य ढंग से जीने में परेशानी होती है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के बीच आशिक नेंगरू एक महत्वपूर्ण नाम है। उन्होंने अपने दस्तावेजों में खुद को जैश-ए-मोहम्मद के एक संगठन का कमांडर बताया है। वह नॉर्थ कश्मीर के जनपद सोपोर के निवासी हैं और उन्हें कई आतंकी हमलों में शामिल देखा गया है।

नेंगरू को पाकिस्तान से जुड़े संगठनों से जोड़ा जाता है और वे नाकाम हमलों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। पिछले वर्ष, उन्होंने कुछ आतंकी हमलों को नियंत्रित किया है, जिनमें सेना और सुरक्षाबलों पर हमला शामिल था।

उनके फरार होने से पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे आतंकी नेटवर्क पर जोर डाला गया है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां नेंगरू और उनके साथी के पिछले रिकॉर्ड के आधार पर उनकी गिरफ्तारी के लिए जुटी हुई हैं।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक बड़ी समस्या है और भारत ने कई सालों से इस समस्या का सामना कर रहा है।

“जैश-ए-मोहम्मद कमांडर आशिक नेंगरू और उसके साथी रियाज फरार: पाकिस्तान की आतंकी नेटवर्क की खुली पोल”

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद कमांडर आशिक नेंगरू और उसके साथी रियाज फरार के फरार होने को एक “पाकिस्तानी आतंकवादी नेटवर्क” की संकेत होने के तौर पर देखा है। नेंगरू को जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों के पीछे देखा जा रहा है, जिनमें पुलवामा अटैक भी शामिल है, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।

नेंगरू अपने आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। उसने कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर में हमले की योजना बनाई थी, जिसमें एक बड़ा हमला करने की योजना थी। पुलवामा अटैक के बाद, जिसमें उसकी टीम के सदस्यों ने शामिल होने का दावा किया था, उसकी टीम के सदस्यों का नाम सुर्खियों में आया था। उसके बाद, उसने अपने परिवार को छोड़कर पाकिस्तान को चला गया।

जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी संगठन द्वारा संचालित नेटवर्क की खुली पोल हाल ही में पुलवामा एनआईए द्वारा फरार घोषित किए गए कमांडर आशिक नेंगरू और रियाज अहमद डार के खोलने से खुल गई है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार नेंगरू इस समय पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) से जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी नेटवर्क संचालित कर रहा है। इस नेटवर्क के जरिए जैश-ए-मोहम्मद संगठन भारत में अपनी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।

जैश-ए-मोहम्मद ने भारत में कई आतंकी हमलों का विवरण दिया है जो इस संगठन के लोगों द्वारा संचालित किए गए हैं। इस संगठन द्वारा संचालित हमलों में समेत हैं पुलवामा आतंकवादी हमला, झज्जर कोटली आतंकवादी हमला और अन्य आतंकी हमले जिनमें सिपाही और नागरिकों की जानें गई थीं।

जैश-ए-मोहम्मद कमांडर आशिक नेंगरू और रियाज फरार का पकड़ा जाना: क्या होगा अगला कदम?

जैश-ए-मोहम्मद कमांडर आशिक नेंगरू और उसके साथी रियाज फरार को अब पुलवामा हमले और झज्जर कोटली में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ के अलावा अनेक आतंकी वारदातों में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है। नेंगरू इस समय पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी नेटवर्क संचालित कर रहा था।

जैश-ए-मोहम्मद नाम सुनते ही आतंक का दर सदमे से बढ़ जाता है। यह आतंकी संगठन नेंगरू के नेतृत्व में है, जो दक्षिणी कश्मीर के तौर पर चल रहे हिंसा और आतंकी विरोधी कार्रवाई में अहम भूमिका निभाता है। जैश-ए-मोहम्मद ने कई बार भारत के विभिन्न इलाकों में आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है।

आशिक नेंगरू और रियाज फरार की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की खुली पोल खोल दी है।

आशिक नेंगरू और रियाज फरार का पकड़ा जाना: क्या होगा अगला कदम?

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों का अभियान जारी है। इस अभियान के दौरान, जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर आशिक नेंगरू और उसका साथी रियाज फरार को पुलवामा हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस खबर ने देश को हिलाकर रख दिया है और लोगों में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास कम हो गया है।

आशिक नेंगरू और रियाज फरार को पकड़ने के बाद, अगला कदम क्या होगा? क्या इससे जम्मू-कश्मीर के शांति की स्थिति में सुधार होगा? यह सबसे बड़ा सवाल है। इस समस्या का समाधान तो सिर्फ राजनीति में नहीं है, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्तर पर भी है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों का अभियान चल रहा है .

इस तरह से जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क के अलग-अलग कमांडरों के संयोजन के बिना किसी भी आतंकी हमले की योजना नहीं बनाई जा सकती। इस नेटवर्क के सदस्य नेंगरू की गिरफ्तारी से जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क की ताकत को धकेल दिया गया है।

यह निश्चित नहीं है कि नेटवर्क के अन्य सदस्यों ने किसी और योजना की बैठक कर ली होगी या नहीं, इसलिए भारत की सुरक्षा एजेंसियों को चौकने की जरूरत है। अब इस बात का खुलासा किया जा चुका है कि जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क के सदस्य पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से हमले आयोजित करते हैं इसलिए भारत की सुरक्षा एजेंसियों को इस तरह के हमलों के लिए जम्मू-कश्मीर में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

इस तरह से नेटवर्क से जुड़े लोगों को गिरफ्तार करने से आतंकवाद से लड़ाई में सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी जीत हासिल हुई है।